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रोज मरे........
नेहमीप्रमाणे पहाटे ५.३० चा गजर लाऊन ७.३० लाच उठलो, अर्थातच आजही व्यायाम करायचा राहीला होता. डोळे चोळत असतानाच डो़क्यात जो काही विचार पहीला आ...
Thursday, September 10, 2020
Tuesday, April 7, 2020
जिंदगी...........
रोज नई उमंग है
ध्येय की खोज में
खेद की सुरंग है
आग है पेट में
हात अभी तंग है
आँख भरे सपनो में
आशाएं बुलंद है
नया दिन नया संग
कई चेहरे कई रंग
साथ चले राह में
ताल भी तरंग है
कभी हार कभी जीत
फिर भी दिल मलंग है
फिर भी दिल मलंग है
श्रीमत,
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